🚩🚩🚩🚩🚩क्षत्रिय सिरदारों आज मैं आपको उस किले के बारे में जानकारी प्राप्त कराना चाहता हूं जहां गढ़ा मंडला के राज्यकाल में महत्वपूर्ण होने के कारण इसे गढ़ बनाया गया था और इसके साथ 50 मौजे थे। गढ़ा मंडला वंश के एक वंशज सूरत शाह ने इस किले को बनाया था हालांकि अब उजाड़ हो चुका है लेकिन इसका ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व है। उस किले का नाम धामोनी का किला है ।
👉🏿 क्षत्रिय सिरदारों धामोनी का इतिहास महाराजा संग्राम शाह के 52 गढ़ों में से एक गढ़ धामोनी भी था। राजा नरेंद्रशाह के शासनकाल तक धामोनी गढ़ा मण्डला राज्य का हिस्सा रहा है। इसी राजवंश के हरिसिंह के पुत्र पहाड़सिंह ने विद्रोह करके राज-सिंहासन पर कब्जा करना चाहा। इन परिस्थतियों में नरेंद्रशाह को दिल्ली के बादशाह औरंगजेब से राजा का मान्यता पत्र प्राप्त करने के लिए पांच गढ़ दिए गये। इन पांच गढों में एक धामोनी भी था। ओरछा के राजा छत्रसाल बुंदेला मुगलों से युद्ध करते रहे और औरंगजेब से धामोनी में कब्जा कर लिया था और धामौनी में एक विशाल किला है जो गांव से पूर्व दिशा में लगभग 1 किलोमीटर की दूरी तय करने पर मिलता है। इस किले का परिक्षेत्र बहुत विशाल एवं परिदृश्य अत्यंत मनमोहक है। लगभग 1 वर्ग किमी मे यह किला फैला हुआ है। परिसर के अंदर भी कुछ सुंदर इमारतें हैं जो समय के साथ खंडहरों में तब्दील हो चुकी हैं। इस किले परिसर के बाहर एक पुराना और बड़ा कब्रस्तान है। इन कब्रों के निर्माण में नक्काशीदार पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है।
👉🏿 क्षत्रोय सिरदारों यह किला मध्यप्रदेश राज्य के सागर जिले में सागर शहर से झांसी मार्ग पर 50 किलोमीटर उत्तर में स्थित धामोनी एेतिहासिक द्रष्टि से बहुत महत्वपूर्ण किला है । गढ़ा मंडला के राज्यकाल में महत्वपूर्ण होने के कारण इसे गढ़ बनाया गया था और इसके साथ 50 मौजे थे। गढ़ा मंडला वंश के एक वंशज, राजा सूरत शाह ने 15वीं शताब्दी में इस कस्बे को बसाया था। उसने यहाँ एक दुर्ग का भी निर्माण कराया था। धामोनी दुर्ग विंध्य की एक पर्वत श्रेणी पर निर्मित किया गया है। दुर्ग का क्षेत्रफल 52 एकड़ में है। यह त्रिकोड़मिति स्थिति धारण किए हुये है। और इसका परकोटा 50 फीट चौड़ा है। परकोटे में चारों ओर गोल बुर्ज निर्मित है। यहाँ एकमात्र असाधारण वस्तु भव्य कला है, जो विंध्य शाखाएँ उच्चतम भूमि से निकलकर बुंदेलखण्ड के मैदानों में है। मुगलकाल में धमोनी एक महत्वपूर्ण नगर था। कहा जाता है कि यहाँ हाथियों की बिक्री हेतु एक बाज़ार लगाया जाता था। यहाँ एक बड़ा तालाब है जो किले से 1 किलोमीटर की दूरी पर है। जहां से पानी महलों में सप्लाई किया जाता था।
👉🏿 क्षत्रिय सिरदारों एक दंत कथा के अनुसार मुग़ल काल का मशहूर इतिहासकार अबुल फ़ज़ल भी यहीं पैदा हुआ था, लेकिन इसका कोई प्रमाण आज तक उपलब्ध नहीं है।पुराने खंडहरों के कारण धामोनी पुरातत्व की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। क़िले के अलावा यहाँ ‘रानी महल’ के नाम से विख्यात एक महल भी है।
यहाँ का एक अन्य उल्लेखनीय स्थान मुस्लिम संतों की दो मजारें भी हैं। इनमें से एक ‘बालजीत शाह की मजार’ है, जिन्हें अबुल फ़ज़ल का गुरु समझा जाता है। दूसरी मजार ‘मस्तान शाह वली’ की मानी जाती है ।उनके बारे में कहा जाता है कि गांव में पानी नहीं मिलने के कारण उन्होंने धामोनी को बददुआ दी थी।संतों की मजारों के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। यहाँ वर्ष में एक बार गर्मियों के मौसम अर्थात मई व जून में ‘उर्स’ का आयोजन किया जाता है।
👉🏿क्षत्रिय सिरदारों अंत मे आपको बताना चाहता हूं कि गाँव के किनारे कुछ जैन मंदिर भी हैं, जिनका निर्माण 1815-1819 के बीच हुआ माना जाता है। अगर आपको देखना है तो आप सागर जिला मुख्यालय के उत्तर दिशा में बांदा तहसील अंतर्गत ग्राम धामोनी स्थित है। सागर शहर से धामोनी पहुंचने के लिये
सागर-बांदा सड़क मार्ग पर करीब 39 किलोमीटर तय करने पर बेहरोल से धामोनी के लिये एक सड़क मार्ग विभक्त होता है। बहरोल से धामोनी करीब 14 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
👏 आभार –
श्री गिरिराज सिंह जी लोटवाडा ,
श्री बलबीर सिंह जी हाथोज ,
श्री रुद्रप्रताप सिंह जी सिसोदिया
,कृष्णपाल सिंह जी ( के.पी.सिंह जी ), श्री विजयपाल सिंह जी (वी. पी . सिंह जी ) , रावल रघुवीर सिंह जी धुला , श्री महावीर सिंह जी सरवड़ी , श्री लोकेंद्र सिंह जी कालवी , श्री सुखदेव सिंह जी गोगामेडी , श्री अजित सिंह जी मामडोली , डॉ भगवान सिंह जी नोएडा , श्री जितेंद्रनारायण सिह जी नोएडा ,ठाकुर आज्ञाप्रसाद सिंह जी , श्री सच्चिदानंद सिह जी , श्री मेघराज सिंह जी रॉयल , श्री नवल सिंह जी झराणा , गिरधारी सिंह जी सुनारा , श्री गणपत सिंह जी राठौड़ , श्री फतेह सिंह जी गौड़ , श्री बहादुर सिंह जी शेखावत , श्री लक्ष्मण सिंह जी गोगटिया , श्री राम सिंह जी चंदलाई , श्री मोती सिंह जी सावली , श्री रविन्द्र सिंह जी चिंडालिया , ठाकुर ओमप्रकाश सिंह जी मुम्बई , श्री उम्मेद सिंह जी कुली- खाचरियावास , श्री शक्ति सिंह जी मलारना चौड़ ,श्री अजय सिंह जी चौहान , शिंभू सिंह जी जौल , श्री प्रवीण सिंह जी बाघावास , श्री शक्ति सिंह जी परिहार , श्री सूरजपाल अमु , श्री भँवर सिंह जी नाथावत , श्री हनुमान सिंह जी खरेडा, श्री मान सिंह जी शेखावत युवाम, व समस्त सदस्य- उत्तरप्रदेशिय राजपूत सभा , जयपुर व अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा राजस्थान व रॉयलग्रुप सदस्य , व श्री राजपूत सभा , जयपुर , महानगर व मानसरोवर व प्रताप फाउंडेशन व श्री क्षत्रिय युवक संघ व श्री राजपूत विकास परिषद व ऑल करणी सेना सदस्य व श्री मनवीर सिंह जी कैराप व समस्त सम्माननीय पदाधिकारी व सदस्य – अखंड राजपुताना सेवा संस्थान , दिल्ली ।
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शिव सिह भुरटिया